संतोष में सुख

 

संतोष में सुख

अपने प्रयोजन को बढ़ाकर मान-यश की आकांक्षा किये वगैर, सेवा-तत्पर रहकर सर्वदा संतुष्ट रहने के भाव को चरित्रगत कर लो ;-- सुख तुम्हें किसी तरह नहीं छोड़ेगा।

--: श्री श्री ठाकुरनारी नीति

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