चाह की
विलासिता
जभी देखो-- तुम्हारे
वाक, व्यवहार, चलन,
चरित्र और लगे रहना तुम्हारी
चाह को जिस प्रकार परिपूरित
कर सकते हैं--
उसे सहज रूप से अनुसरण
नहीं कर रहें हैं ; -- निश्चय जानो--
तुम्हारी चाह खांटी
नहीं है-- चाह
की केवल विलासिता
है।
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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