माँ की तरह

 

माँ की तरह

तुम मनुष्य की माँ जैसा अपना बनने की चेष्टा करो-- कथनी, सेवा और भरोसा से, किंतु घुलमिलकर नहीं; देखोगी-- कितने तुम्हारे अपने बनते जा रहे हैं। 

--: श्री श्री ठाकुरनारी नीति

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