हम हैं राष्ट्र की आधी आबादी
तुम मनुष्य की माँ जैसा अपना बनने की चेष्टा करो-- कथनी, सेवा और भरोसा से, किंतु घुलमिलकर नहीं; देखोगी-- कितने तुम्हारे अपने बनते जा रहे हैं।
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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