क्षिप्रता और दक्षता
क्षिप्रता सहित दक्षता
को साध लो, और नजर
रखो भी-- मनुष्य
के प्रयोजनानुसार हावभाव
पर ; और हावभाव
को देखकर ही
जिससे प्रयोजन को
अनुधावन कर सको--
अपने बोध को इसी प्रकार
तीक्ष्ण बनाने की
चेष्टा करो; इसी
प्रकार ही-- क्षिप्रता
और दक्षता सहित--
मनुष्य के प्रयोजन
को अनुधावन कर
सेवा-तत्पर बनो,
-- देखोगी-- सेवा का
जयगान तुम्हें परिप्लुत
कर देगा।
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