धर्मकार्य
धर्मकार्य का अर्थ
है वही करना--
जिससे तुम्हारा और
तुम्हारे पारिपर्श्विक का जीवन,
यश और वृद्धि
क्रमवर्द्धन से वर्द्धित
हो ;-- सोच, समझ,
देख, सुनकर-- वही
बोलो,-- और आचरण में उसका
ही अनुष्ठान करो,--
देखोगी-- भय और
अशुभ से कितना
त्राण पाती हो।
--: श्री श्री ठाकुर, नारी नीति
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